an essay on aalas kiya safalta gayi (in hindi )(250 words)
 

प्रिय मित्र ,

परिश्रम व सफलता का बड़ा गहरा संबंध होता है। हमें तभी सफलता मिलती है जब हम परिश्रम करते हैं। परिश्रम से मनुष्य सदैव मेहनती बना रहता है, परिश्रम जीवन को गति प्रदान करता है। परिश्रम की उपेक्षा हमें निकम्मा व असफल बना देती है। जहाँ हम अपने जीवन में आलस को घर करने देते हैं, वहीँ सफलता से रिश्ता टूट जाता है। परिश्रम हमें समस्त कठिनाइयों से निकालने में समर्थ होता है और आलस कठिनाइयों को पैदा करने का कारक होता है। परिश्रमी व्यक्ति भाग्य के भरोसे नहीं बैठते और आलसी भाग्य को ही सबसे बड़ा सहारा मानते हैं। उनके जीवन में फिर कभी उन्नति के चांदनी रात नहीं आती है। आलस हमारे शरीर को ही नहीं दिमाग को भी शिथिल कर देता है। हम बस आराम और सुख-सुविधाओं को जीवन समझने लगते हैं। ये भूल जाते हैं कि बिना परिश्रम किए तो भोजन भी मुँह में नहीं जाता है। अतः आलस को अपने जीवन से बाहर कर दीजिए नहीं, तो वह आपको निकम्मा और नकारा साबित कर देगा।

 

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