​an essay on when i got lost one day
 

मित्र यह निबंध आपके स्वयं के अनुभव पर आधारित है। परंतु आपकी सहायता के लिए हम आपको लिखकर दे रहे हैं। इसे स्वयं विस्तारपूर्वक लिखने का प्रयास करें।-
रविवार का दिन था। मैं तथा मेरे सहपाठी विद्यालय की तरफ से सूरजकुंड की बड़कल झील के पास पिकनिक मनाने आए थे। बस से उतरते ही मैं तथा मेरा मित्र उत्साहित होकर आसपास की प्रकृति को निहारने लगे। झील के पास ही एक जंगल था। वहाँ से पक्षियों की मीठी आवाज़ आ रही थी। मैंने जंगल में जाने का निश्चय कर लिया। परंतु मेरे  मित्र ने डर के कारण जाने से मना कर दिया। मैंने मन में ठान लिया था कि मुझे जाना है। इसलिए जब सारे बच्चे आैर अध्यापिकाएँ व्यस्त थे, मैं चुपचाप जंगल की आेर निकल गया। मैं जंगल की सुंदरता तथा पशु-पक्षियों को निहार रहा था। मैं न जाने कब जंगल में खो गया, मुझे पता ही नहीं चला। दिन भी ढलने लगा था आैर मेरी घबराहट बढती जा रही थी। मैं एक पेड़ के नीचे बैठकर रोने लगा। अचानक मुझे किसी की आहट सुनाई दी। मैं बहुत घबरा गया परंतु ये आैर कोई नहीं मेरी अध्यापिकाएँ व मेरे सहपाठी थे। उन्होंने मुझे ढूँढ लिया था। मुझे बहुत राहत महसूस हुई। हम वापस लाैट गए परंतु मुझे यह घटना जि़ंदगी भर याद रहेगी।   

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