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प्रिय मित्र!
हम एक बार में सभी प्रश्नों के उत्तर नहीं दे सकते हैं। आप अपने प्रश्न दुबारा पूछ सकते हैं। हम प्रथम का उत्तर दे रहे हैं।
गांधी जी केवल उपदेशक नहीं थे अपितु वे कर्म करने पर विश्वास करते थे। गांधी जी जीवन भर स्वच्छता का सन्देश देते रहे। उन्होंने केवल स्वच्छता पर उपदेश ही नहीं दिया वरन वे स्वयं सफाई करते थे। गांधी जी अपना शौचालय स्वयं साफ़ करते थे। सुबह झाड़ू लगाना और आस-पास की सफाई खुद करते थे। गांधी जी लोगों से कहते थे कि अंग्रेजों के साथ मिलकर अपने देशवासियों को लूटने से अच्छा है, तुम सरकारी नौकरियों से इस्तीफा दे दो। यह बात गांधी जी ने उपदेश में नहीं कही अपितु उन्होंने खुद भी वकालात छोड़ दी। गांधी जी हमेशा स्वदेशी वस्त्रों को पहनने और विदेशी वस्त्रों को त्यागने पर जोर देते रहे और इसलिए उन्होंने जीवन भर खादी पहना। साथ ही, वे खुद चर्खा चलाकर धागा तैयार करते थे।
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गांधी जी केवल उपदेशक नहीं थे अपितु वे कर्म करने पर विश्वास करते थे। गांधी जी जीवन भर स्वच्छता का सन्देश देते रहे। उन्होंने केवल स्वच्छता पर उपदेश ही नहीं दिया वरन वे स्वयं सफाई करते थे। गांधी जी अपना शौचालय स्वयं साफ़ करते थे। सुबह झाड़ू लगाना और आस-पास की सफाई खुद करते थे। गांधी जी लोगों से कहते थे कि अंग्रेजों के साथ मिलकर अपने देशवासियों को लूटने से अच्छा है, तुम सरकारी नौकरियों से इस्तीफा दे दो। यह बात गांधी जी ने उपदेश में नहीं कही अपितु उन्होंने खुद भी वकालात छोड़ दी। गांधी जी हमेशा स्वदेशी वस्त्रों को पहनने और विदेशी वस्त्रों को त्यागने पर जोर देते रहे और इसलिए उन्होंने जीवन भर खादी पहना। साथ ही, वे खुद चर्खा चलाकर धागा तैयार करते थे।