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मित्र
छुट्टियों में लेखक नानी के घर जाया करते थे। वहाँ नानी सेे खूूूब दूध दही और मक्खन खाया करते। छोटा सा गांव था। वहाँ वह तालाब में खूब नहाते थे। नानी के यहाँ बहुत मज़ा आता था। नानी से बहुत प्यार और खाने को बहुत कुछ मिलता था। दोपहर तक तालाब में नहाते। फिर नानी से जो जी में आता मांग कर खाते। सारा दिन तालाब में ही बिताते।
छुट्टियों में लेखक नानी के घर जाया करते थे। वहाँ नानी सेे खूूूब दूध दही और मक्खन खाया करते। छोटा सा गांव था। वहाँ वह तालाब में खूब नहाते थे। नानी के यहाँ बहुत मज़ा आता था। नानी से बहुत प्यार और खाने को बहुत कुछ मिलता था। दोपहर तक तालाब में नहाते। फिर नानी से जो जी में आता मांग कर खाते। सारा दिन तालाब में ही बिताते।