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मित्र
मछली व जल के प्रेम में बहुत अंतर होता है। तालाब/नदी/सागर में जाल फेंकने पर जल तो मछली को छोड़कर बाहर निकल जाता है परन्तु मछली जल का मोह ना छोड़ते हुए, उसके प्रेम में अपने प्राण को त्याग देती है। हमें भी प्रेम मछली के समान करना चाहिए जो जल का मोह नहीं त्याग पाती अपितुु अपने प्राण त्याग देती है।
मछली व जल के प्रेम में बहुत अंतर होता है। तालाब/नदी/सागर में जाल फेंकने पर जल तो मछली को छोड़कर बाहर निकल जाता है परन्तु मछली जल का मोह ना छोड़ते हुए, उसके प्रेम में अपने प्राण को त्याग देती है। हमें भी प्रेम मछली के समान करना चाहिए जो जल का मोह नहीं त्याग पाती अपितुु अपने प्राण त्याग देती है।