answer the question of pathetar sakrita - dehat ka drisya in page no. - 123-124.

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आपको इस विषय पर कुछ पंक्तियाँ लिखकर दे रहे हैं, इसके आधार पर बाकी आप स्वयं सोचकर लिखिए। इससे आपकी कल्पनाशक्ति का विकास होगा। इस तरह से आप किसी भी विषय पर स्वयं सोचकर लिख सकोगे।

मुझे अपने गाँव से बहुत प्यार है। पिताजी अकसर गाँव जाया करते थे। परन्तु हमें और माताजी को नहीं ले जाया करते थे। उनका मानना था गाँव में रहना हमें अच्छा नहीं लगेगा। दूसरे वहाँ जाना बड़ा दुष्कर था। परन्तु जब गाँव तक यातायात के साधन सुलभ हो गए, तो पिताजी ने हमें अपने साथ ले जाना ठीक समझा। गाँव में जाना मेरा पहला अनुभव था। परन्त यह आज तक मुझे याद रहता है। पूरी रात की यात्रा के बाद हम गाँव पहुँचे दादाजी बैलगाड़ी लेकर बस स्टेशन पर आए हुए थे। बैलगाड़ी देखकर हम उत्साहित हो गए। दादाजी भी हमें देखकर भाव-विभोर हो गए। गाँव के चारों और लहराते हुए खेत, हरियाली, वृक्ष, पक्षियों का मीठा स्वर इत्यादि हमारे कानों तथा मन को प्रसन्नता देने लगा। गाँव का सौन्दर्य इतना अनुपम और सुंदर था कि मेरा आँखें खुली-खुली रह गई। ऐसा लगता था कि अपनी पलकें ही न झुकाऊँ। गाँव प्रदूषण से मुक्त था और प्रकृति की प्यारी छटा हमें लुभा रही थी। कहीं गेहूँ के खेत, तो कहीं सरसों के खेत आँखों को आनंद देने वाले थे। जब तक हम गाँव में रहे उसके सौंदर्य का रसपान करते रहे।

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