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प्रिय विद्यार्थी , 

आपके प्रश्न का उत्तर है - 
(क) परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने पर कहा कि हे देव हम क्षत्रियों के लिए तो सब धनुष एक समान है , हमें धनुषों के टूटने से कोई हानि नहीं होती है । और इस धनुष के टूटने में श्री राम का कोई दोष नहीं है यह धनुष तो उनके छूने से ही टूट गया ।
(ख) प्रस्तुत पद्यांश के अनुसार परशुराम ने सभा में अपने विषय में यह कहा कि हे बालक तुम मुझे नहीं जानते हो । मैं बाल ब्रह्मचारी और अति क्रोधी वह परशुराम हूँ  , जिसे सारा विश्व क्षत्रियकुल द्रोही के रूप में जानता है । मैंने कई बार इस धरती को क्षत्रियों से विहीन करके इसे ब्राह्मणों को दान में दिया है । मैंने इसी फरसे से सहस्त्रबाहु का वध किया है । 
(ग) परशुराम ने लक्ष्मण को धमकाते हुए कहा कि मैं तुम्हारे माता पिता के बारे में सोचकर और तुम्हें बालक जान कर छोड़ रहा हूँ । अन्यथा मेरे इस फरसे के प्रकोप से गर्भ में पल रहा बच्चा भी नष्ट हो जाता है । 

आभार ।  

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