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प्रिय विद्यार्थी , 

आपके प्रश्न का उत्तर है - 
2. लक्ष्मण परशुराम पर व्यंग्य करते हुए कहते हैं कि आपने अपने माता और पिता का ऋण तो चुका दिया है , लेकिन अभी गुरु का ऋण चुकाना बाकी है । वे आगे कहते हैं कि आप बताइए कि कितना ऋण चुकाना है , मैं अभी अपनी थैली खोलकर ब्याज सहित आपका ऋण चुका देता हूँ । 

​​​​आभार । 

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