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प्रिय विद्यार्थी , 

आपके प्रश्न का उत्तर है - 
कबीर के अनुसार हमें ऐसी वाणी बोलनी चाहिए जो सुनने में सुखदायक हो और मीठी हो । मीठी वाणी बोलने से हमारा अहंकार समाप्त हो जाता है और अहंकार के समाप्त हो जाने के कारण हमारा तन शुद्ध और शीतल हो जाता है । मीठी वाणी सुनने में सुखदायक और आनंददायक होती है , इसी कारण से मीठी वाणी से दूसरों को सुख की प्राप्ति होती है । 

आभार । 

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मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता प्राप्त होती है, क्योंकि मीठी वाणी बोलने से मन का अहंकार समाप्त हो जाता है। यह हमारे तन को तो शीतलता प्रदान करती ही है तथा सुननेवालों को भी सुख की तथा प्रसन्नता की अनुभूति कराती है इसलिए सदा दूसरों को सुख पहुँचाने वाली व अपने को भी शीतलता प्रदान करने वाली मीठी वाणी बोलनी चाहिए।
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मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता प्राप्त होती है, क्योंकि मीठी वाणी बोलने से मन का अहंकार समाप्त हो जाता है। यह हमारे तन को तो शीतलता प्रदान करती ही है तथा सुननेवालों को भी सुख की तथा प्रसन्नता की अनुभूति कराती है इसलिए सदा दूसरों को सुख पहुँचाने वाली व अपने को भी शीतलता प्रदान करने वाली मीठी वाणी बोलनी चाहिए।
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मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता प्राप्त होती है, क्योंकि मीठी वाणी बोलने से मन का अहंकार समाप्त हो जाता है। यह हमारे तन को तो शीतलता प्रदान करती ही है तथा सुननेवालों को भी सुख की तथा प्रसन्नता की अनुभूति कराती है इसलिए सदा दूसरों को सुख पहुँचाने वाली व अपने को भी शीतलता प्रदान करने वाली मीठी वाणी बोलनी चाहिए।
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Jasmin mengumpul 800 keping setem 14 daripada syaitan itu adalah syaitan luar negara hidung serta luar negara yang mempunyai oleh Jasmine
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kita itu yang menginap adik Udin Udin Udin Udin Udin hahaha
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