Apne videshi metra ko bharat ki sanskriti ke visheshtaye batate hue patra likhe.

पताः ...............
दिनाँक: .............

प्रिय मित्र जावेद,
बहुत प्यार!
बहुत समय बाद तुमको पत्र लिख रहा हूँ। इस बार के सर्दियों के अवकाश में तुम्हारी बहुत याद आई। पिछले वर्ष तक तुम हमारे साथ थे। तो अवकाश के दिन यूहीं निकल जाया करते थे। परन्तु मित्र इस बार तुम्हारी याद और सर्दियों ने तो बहुत ही दुखी किया।

इस बार दिल्ली में बहुत भंयकर सर्दी पड़ी। सरकार द्वारा विद्यालयों को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया था। पिताजी तय किया की वह हमें दिल्ली दर्शन कराएँगे। मित्र दिल्ली दर्शन के बाद मैंने जाना की हमारी संस्कृति कितनी विशाल और प्राचीन है। हमारे देश में कितने ही लोगों ने राज किया। उन्होंने हमारी संस्कृति को नष्ट करने तक का प्रयास किया मगर आज तक हमारी संस्कृति को मिटा नहीं पाए हैं। यह हमारी संस्कृति की विशेषता ही तो है जिसने अन्य संस्कृति को अपने में आत्मसात किया। उसने कभी किसी को बदलने का प्रयास नहीं किया। स्वयं समय के अनुसार बदली और बनी रही। यह सब जानकर मुझे बहुत अच्छा लगा। आशा करता हूँ कि तुम्हें भी बहुत अच्छा लगेगा।

तुमने अपनी सर्दियों के अवकाश कैसे निकाले अवश्य बताना। अब पत्र समाप्त करता हूँ।

तुम्हारा मित्र,
रवि

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