Apni dekhi - suni kisi aapda ka varnan kijiye.....??? From Kritika - Chapter Is Jal Pralaya Mein

मैं पिछले महीने अपने चाचा की शादी के लिए बिहार के राजेंद्रनगर में आई थी। अगस्त का मौसम था। अत: यहाँ बहुत वर्षा हो रही थी। परन्तु हमारे पहुँचने के बाद यहाँ लगातार अट्ठारह घंटे वर्षा होने के कारण पुनपुन नदी में बाढ़ आ गई। इसका परिणाम यह हुआ की पुनपुन का पानी बहकर राजेंद्रनगर में पहुँच गया। सही समय में सूचना मिलने पर लोग ऊँचे स्थानों पर चले गए। बरसात का मौसम होने के कारण वर्षा रुक-रुककर होने से पुनपुन का जल स्तर कम नहीं हो रहा था। सात दिनों तक हम उस स्थान पर फंसे रहे। वहाँ कि हालत बहुत ही खराब थी। पानी के शहर में घुसने से चारों तरफ की धरती जलमग्न हो चुकी थी, जिससे लोग खाने-खाने के लिए मोहताज थे। पानी संबंधी बीमारियों ने लोगों को त्रस्त कर दिया था। यहाँ से निकलने के तमाम रास्ते बंद हो चूके थे। किसी से संपर्क साधना भी कठिन था। चूंकि चाचाजी का घर शादी का घर था। अतः वहाँ खाने-पीने की कमी नहीं हुई। लेकिन वहाँ रुकना नरक के समान था। स्वयं सेवी संगठनों की मदद से हम वहाँ से बाहर निकल पाएं। दिल्ली आकर ही हमने दम लिया। बेचारे दादाजी व चाचाजी कैसे रह रहे होगें। वह वहाँ से अपना घर छोड़ने को तैयार नहीं थे। अत: वह हमारे साथ नहीं आए। अब स्थिति सुधर चूकी है। परन्तु उस समय जो देखा वह आज भी दिल दहला देता है।

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