arthaalankaar par nibandh likhen?


प्रिय छात्र जब किसी कविता में अर्थ के कारण चमत्कार उत्पन्न होता है, उसे अर्थालंकार कहते हैं। इसके अंदर शब्द चमत्कार उत्पन्न नहीं करता बल्कि उसका अर्थ चमत्कार उत्पन्न करता है ।
 
हमारी वेबसाइट पर tests/ sample papers/ study material/ revision notes दिए गए हैं, आप इनकी सहायता से अपनी जानकारी में वृद्धि कर सकते हैं।
 

https://www.meritnation.com/cbse-class-9/-/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A3/-/studymaterial/11_3_193_3087_6570

आपकी सहायता के लिए, हम आपको Ask & Answer study material का लिंक उपलब्ध कर रहे हैं। आप संबंधित अध्याय से सम्बद्ध प्रश्नों को उनके उत्तर सहित खोज सकते हैं।
धन्यवाद।
 

  • 0
अर्थालंकार के  भेद हैं. -  उपमा , रूपक ,उत्प्रेक्षा, प्रतीप , व्यतिरेक , विभावना , विशेषोक्ति ,अर्थान्तरन्यास , उल्लेख , दृष्टान्त, विरोधाभास , भ्रांतिमान  आदि। 


1-उपमा- जहाँ गुण , धर्म या क्रिया के आधार पर उपमेय की तुलना उपमान से की जाती है   

जैसे - हरिपद कोमल कमल से ।

यहाँ  पर हरिपद ( उपमेय )की तुलना कमल ( उपमान ) से कोमलता के कारण की गई है । 


2-  रूपक- जहाँ उपमेय पर उपमान का अभेद बताया  जाता है। 

 जैसे -अम्बर-पनघट में डुबो रही तारा-घट ऊषा-नागरी

यहाँ  पर  अम्बर रूपी  पनघट।तारा रूपी घट।ऊषा रूपी नागरी है ।


3-उत्प्रेक्षा- उपमेय में उपमान की कल्पना या सम्भावना होने पर उत्प्रेक्षा अलंकार कहलाता  है। 


जैसे - मुख मानो चन्द्रमा है।

यहाँ  पर मुख ( उपमेय ) को चन्द्रमा ( उपमान ) मान लिया गया है। 


Note: इस अलंकार की पहचान :मनु , मानो , जनु , जानो शब्दों से  हो  जाती  है।
  • 1
What are you looking for?