'Athiti sulabh muskan' ka arth btatey hua usme chipa vyagan sparcht chijiye
इसका अर्थ है कि अतिथि द्वारा हमेशा दी जाने वाली मुस्कान। इसके माध्यम से लेखक बताना चाहता है कि अतिथि हमेशा अपने मेज़बान को ऐसी मुस्कान देता है। वह देखना ही नहीं चाहता है कि उसका मेज़बान उससे बहुत परेशान है। बस इस प्रकार की मुस्कान देकर वह मेज़बान को प्रसन्न करता है। मगर मेज़बान का ह्दय जानता है कि वह कितना परेशान है।