Atishyokti alankaar ke 2 udhaaran.
अतिश्योक्ति अलंकार :-
जहाँ वस्तु पदार्थ अथवा कथन को हम बढ़ा-चढ़ा कर कहते हैं, तो वह अतिश्योक्ति अलंकार होता है।
1. आगे नदिया पड़ी अपार, घोड़ा कैसे उतरे पार
राणा ने सोचा इस पार तब तक चेतक था उस पर
(राणा अभी सोच ही रहे थे कि घोड़े ने नदी पार कर ली।)
2. हनुमान की पूँछ में, लग न पाई आग।
लंका सारी जल गई, गए निसाचर भाग।।
(हनुमान की पूँछ में आग लगने से पहले ही लंका जल गई।)
(3) वह शर इधर गाँडीव गुण से भिन्न जैसे ही हुआ,
धड़ से जयद्रथ का इधर सिर छिन्न वैसे ही हुआ।
(अर्जुन का तीर अभी धनुष पर चढ़ा ही था, जयद्रथ का सिर धड़ से अलग हो गया।)
(4) चंचल स्नान कर आए चंद्रिका पर्व में जैसे,
उस पावन तन की शोभा, आलोक मधुर थी ऐसे।
(नायिका के रुप सौंदर्य का वर्णन बढ़ा-चढ़ा कर किया गया है।)