badti hui abbadi ka paryavarn per kya parbhav pra
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पूरे विश्व में जनसंख्या में वृद्धि देखने को मिल रही है। यह जनसंख्या वृद्धि आज हमारे लिए सबसे बड़ी समस्या बनकर सामने आ रही है। भारत में इस जनसंख्या से होने वाले दुषपरिणाम देखे जा सकते हैं। यह एक अभिशाप के समान हमारे साथ चलेगा व हमें बरबाद कर देगा। भारत की 2001 की जनगणना को देखा जाए तो हमारे देश की आबादी 100 करोड़ को पार कर चुकी है। इतने विशाल आबादी वाले देश को रहने, खाने, पीने व रोजगार के लिए सम्पूर्ण साधन उपलब्ध करवाना सरकार के लिए जिंदा मछली निगलने के समान है। जैसे-जैसे जनसंख्या में वृद्धि होती जाएगी, देश व उसके नागरिक अनेकों समस्याओं से घिरते जाएगें। इतनी विशाल जनसंख्या के रहने के लिए आवासों में कमी आ जाएगी। अधिक आवासों के लिए अधिक जमीन की आवश्यकता पड़ेगी। इससे जंगलों पर दबाव बनेगा। आवास की व्यवस्था पूरी करने के लिए जंगलों को काटा जाएगा। इससे जहाँ जंगलों व वहाँ पर रह रहे प्राणियों के आवास कम हो जाएगें, वहीं दूसरी ओर कृषि के लिए भी ज़मीन कम पड़ने लगेगी। इससे कृषि के उत्पादन में कमी आएगी। आबादी बढ़ेगी तो जरूरतें भी बढ़ जाती है। इतनी कम भूमि में पूरे देश के लिए भोजन-पान की व्यवस्था कर पाना कठिन हो जाएगा। उनके लिए बुनियादी साधनों लिए रोटी, कपड़ा पानी तथा अन्य साधनों की आवश्यकता पढ़ेगी। इससे प्रकृति पर भी दबाव पड़ेगा। मनुष्य की आबादी के कारण उसका अधिक दोहन होगा। मनुष्य द्वारा अधिक मात्रा में ईंधन व ऊर्जा के साधन प्रयोग करने के कारण प्रकृति में असंतुलन का खतरा उत्पन्न हो जाएगा। जल, वायु, भूमि और ध्वनि प्रदूषण इसका ज्वलंत उदाहरण है। इसके अतिरिक्त अधिक मात्रा में बच्चों के लिए स्कूलों, मरीजों के लिए अधिक अस्पतालों, नौकरियों के लिए रोजगारों की भी आवश्यकता बढ़ जाएगी। बढ़ती जनसंख्या के दबाव के कारण देश का विकास के मार्ग अवरूद्ध हो जाएगें क्योंकि जब एक देश अपने देश के लोगों के लिए यह सब सुविधाएँ उपलब्ध नहीं करा पाएगा तो वह विकास कैसे कर सकता है।