baj apni zindagi se kusha kyom tha?

बाज जब तक जिंदा रहा अपनी शर्तों पर रहा। उसने कभी किसी की गुलामी नहीं की और न ही गुलामी भरा जीवन पसंद ही किया। उसने जीवन का भरपूर आनंद लिया था। साँप की भांति जीवन के मोह में छुपकर नहीं रहा था। इसलिए वह अपने जीवन से प्रसन्न था।

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