Balgobin bhagat paristhithyo ko hatakar kathor nirnay lene mai samath the spast kare.

मित्र बाल गोबिन भगत परिस्थितियों को एक तरफ रख कर कठोर निर्णय लेते थे जैसे पुत्र की मृत्यु के पश्चात उनकी बहु उनको छोड़कर अपने मायके नहीं जाना चाहती थी। परन्तु बाल गोबिन भगत उसे अपने पास नहीं रखना चाहते थे क्योंकि वह जानते थे कि उनके बाद इसका जीवन बर्बाद हो जाएगा। अतः उन्होंने उसके भाई को बुलवाया और सख्त हिदायत दी थी कि इसका पुनः विवाह करवा दिया जाए। उनकी बहु ने बहुत मिन्नतें की परन्तु उन्होंने उसकी एक न सुनी और उसे उसके घर भेज दिया।

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