Balvasant ka varnan karke kavi Dev ne naya prayog kiya hai.Siddh kare.
प्रिय मित्र!
आपके प्रश्न के लिए हम अपने विचार दे रहे हैं। आप इसकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।
कवि देव ने बसंत को बच्चे के रूप में चित्रित किया है। कवि ने वसंत को कामदेव के बालक के रूप में बताया है। बालक बसंत को गुलाब पुष्प सुबह चुटकी बजाकर जगाते हैं। वसंत ऋतु में चारों ओर पुष्प ही पुष्प खिले रहते हैं। डालियों पर नए पत्ते आते हैं। नई कोपले आनंदित होकर प्रकाश में जगमगाती हैं। कवि कहते हैं कि प्रकृति ही इस बालक रूपी बसंत को स्नेह करती है। यहां पर कवि ने बसंत को ऋतुओं का राजा नहीं बताया है। आज तक कवियों ने बसंत को ऋतुराज के रूप में शोभित किया है। बाल बसंत का वर्णन कवि देव द्वारा नूतन प्रयोग है।
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कवि देव ने बसंत को बच्चे के रूप में चित्रित किया है। कवि ने वसंत को कामदेव के बालक के रूप में बताया है। बालक बसंत को गुलाब पुष्प सुबह चुटकी बजाकर जगाते हैं। वसंत ऋतु में चारों ओर पुष्प ही पुष्प खिले रहते हैं। डालियों पर नए पत्ते आते हैं। नई कोपले आनंदित होकर प्रकाश में जगमगाती हैं। कवि कहते हैं कि प्रकृति ही इस बालक रूपी बसंत को स्नेह करती है। यहां पर कवि ने बसंत को ऋतुओं का राजा नहीं बताया है। आज तक कवियों ने बसंत को ऋतुराज के रूप में शोभित किया है। बाल बसंत का वर्णन कवि देव द्वारा नूतन प्रयोग है।