bharaat ka neta kaisa hona chahiye par ek anuched

आज के नेताओं का चरित्र आदर्श के योग्य नहीं है। जब हम गुलाम भारत की बात करते हैं, तो हमारे आगे हज़ारों उदाहरण प्रस्तुत हो जाते हैं, जिन्होंने देश को बहुत कुछ दिया था। जवाहरलाल नेहरु, सुभाषचन्द्र बोस, तिलक, लाला लाजपत राय, वल्लभभाई पटेल इत्यादि ऐसे नेताओं से लोग प्रेरणा लेते थे और अपने बच्चों को उनके समान बनाना चाहते थे। परन्तु आज के नेता ऐसे हैं, जिनमें देशभक्ति, सदाचार, कर्तव्यनिष्ठ, कर्मठता, लोकसेवा, ईमानदारी इत्यादि भावों का दूर-दूर तक नामोंनिशान नहीं है। यदि किसी व्यक्ति से पूछा जाए कि वह अपनी संतान को आज के किस नेता के समान बनाना चाहेगा, तो लोग मुँह बना लेते हैं। वे किसी प्रसिद्ध अभिनेता या अभिनेत्री को अपना व अपने बच्चों का आदर्श बना सकते हैं परन्तु नेता को नहीं। इनका चरित्र लोगों को आकर्षित नहीं करता अपितु उनसे घृणा ही उत्पन्न होती है।

मनुष्य को उसके चरित्र से ही पहचाना जाता है। उनका चरित्र जितने सद्गुणों से युक्त होगा, लोग उससे उतना ही आकर्षित होगें। नेता के लिए तो चरित्र बहुत महत्वपूर्ण होता है। वह देश के लोगों का नेतृत्व करता है। उसके चरित्र में ईमानदारी, सदाचार होना परम आवश्यक है। वर्तमान भारतीय राजनीति आदर्श नहीं बल्कि भ्रष्ट है। आज की राजनीति का उद्देश्य देश का विकास नहीं है बल्कि स्वयं के हितोपूर्ति का उद्देश्य मात्र रह गई है। आज कोई भी व्यक्ति राजनीति में आना चाहता है, तो उसका उद्देश्य धन और शक्ति प्राप्त करना है। इनके माध्यम से वह स्वयं को शक्तिसंपन्न और वैभवशाली बनाना चाहता है। देश के हित और विकास उसका उद्देश्य नहीं है। राजनीति में आने के लिए वह टिकटों को भी खरीदने से बाज़ नहीं आता है। भारत की राजनीति से जुड़े अधिकत्तर नेता किसी न किसी आपराधिक मामले में लिप्त है। यदि कोई पार्टी सरकार बनाती है, तो उसके नेता मंत्री बनते ही। दीमक के समान देश को खोखला बनाना आरंभ कर देते हैं। आज हमारे सम्मुख हज़ारों घोटाले विद्यमान हैं। यह घोटाले कुछ हज़ार रुपयों के नहीं अपितु हज़ारों-लाखों-करोड़ों रूपयों का होता है। देश विकास पर खर्च होने वाले पैसे को यह मंत्री और नेता मिलकर अपने घर में भरते हैं। ऐसी राजनीति में जहाँ देश को कंगाल बनाने से नेता शर्माते नहीं है। वह भ्रष्ट ही कही जाएगी। वह ऐसे लोगों का आदर्श हो सकती है, जिन्हें धन और शक्ति का लोभ हो। परन्तु ऐसे लोगों के लिए यह भ्रष्ट है, जो देश को अपना सर्वस्व मानते हैं। यहाँ एक पार्टी दूसरी पार्टी पर कीचड़ उछालती है। परन्तु जब दूसरी पार्टी सत्ता में आती है, तो वह लूट-खसोड़ में पहली पार्टी को पीछे छोड़ देती है। देश नेता नहीं ऐसा नागरिक चाहता है, जो देश को एक नागरिक बन कर आगे ले जाए ।  

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