Bhartiya sanskriti ke girte mulya par nibandh.
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मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
 
भारतीय संस्कृति बहुत ही प्राचीन संस्कृति है। यह संस्कृति सदियों से अपने अंदर अनेक संस्कृतियों को समाहित करती हुई अपने अस्तित्व को बनाए रखे हुए है। इसके मूल्य इसकी विशेषता है। इसी कारण यह जीवित भी है। समय बदल रहा है और आज यह दूसरी संस्कृतियों के प्रभाव में आकर अपने मूल्यों को खो रही है। इसके मूल्यों का क्षरण हो रहा है। आज यदि ऐसा ही रहा, तो यह अपना अस्तित्व खो देगी और समाप्त हो जाएगी। हमारे मूल्यों जैसे बड़ों का आदर, सत्यता, वचन बद्धता, भाईचारा, अमन, प्रेम, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा, धर्मनिष्ठा, गरीबों की सेवा, समर्पण, त्याग, मेहमानों का आदर इत्यादि कहलाते हैं। 

ये हमारी पहचान हैं। इन्होंने ही हमें सबसे अलग रखा है। हम अपने मूल्यों को जीवित नहीं रख पा रहे हैं। यदि ये समाप्त हो जाएँगे, तो हम अपनी पहचान खो देगें। हमें चाहिए कि दूसरी संस्कृति से जो अच्छा लगता है, उसे अपना लें मगर अपनी संस्कृति को नष्ट किए बिना। आज हम आज़ादी के नाम पर अपने मूल्यों को भूलते जा रहे हैं। यह कहाँ तक उचित है। हमें चाहिए कि इस ओर ध्यान दें।

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