Bhav ashpsth kare ...

हम कनखियों से देख कर सोच रहे थे, मियां रईस बनते हैं, लेकिन लोगों की नजरों से बच सकने के ख्याल में अपनी असलियत पर उतर आए हैं

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नवाब साहब ने बड़े जतन से खीरे को धोया, छीला फिर काट कर सजाया। लेखक से खाने के लिए पूछा। लेखक ने जब शालीनता से खीरा खाने के लिए मना कर दिया, तब नवाब साहब ने अपना मान बचाने के लिए उस खीरे को फेंक दिया। तभी लेखक ने सोचा कि मियाँ रईस बनते हैं लेकिन लोगों की  नजर से बच सकने के ख्याल में अपनी असलियत पर उतर आयें हैं।

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