Bhav spast kijiye:-
manushye matr bandhu hain yahi bada vivek hai [page 21-last 11th line]
मित्र मानवीय गुणों को धारण करके ही मानव, मनुष्य कहलाने का अधिकारी होता है। मनुष्य-मात्र को बंधु अपना भाई मानना ही सबसे बड़ा विवेक है, तभी हम मनुष्य कहलाने के योग्य होंगे।