bhavarth of the poem CHHAYA MAT CHHOONA
'छाया मत छूना' कविता के माध्यम से कवि गिरिजाकुमार माथुर यह समझाना चाहते हैं कि जीवन का निर्माण सुख-दुख के ताने-बाने से मिलकर होता है। एक के बिना दूसरे का अस्तित्व संभव नहीं है। उनके अनुसार बीते सुख को भुलाकर वर्तमान में व्याप्त दुख को और गहरा करना मुर्खता कहलाता है। कवि के अनुसार इससे दुख बढ़ेगा, कम नहीं होगा। हमें चाहिए कि विषम परिस्थितियों में धैर्य धारण कर उसका सामना करें। भूतकाल में बीता समय कितना सुखमय क्यों न रहा हो, उसे भुलाकर सच्चाई का सामना पूरी हिम्मत और धैर्य के साथ करना चाहिए। यही हमारी पहली प्राथमिकता भी होनी चाहिए। इस कविता के द्वारा कवि यही संदेश देता है कि हमें अतीत की मीठी यादों से स्वयं को मुक्त कर वर्तमान का पूरे जोश के साथ सामना करना चाहिए। उनके अनुसार जो लोग जीवन के कठोर सत्य को भुलाकर बीते काल में भ्रमित से हुए रहते हैं, वह कभी वास्तविकता का समाना नहीं कर पाते हैं और जल्दी टूट जाते हैं। मनुष्य के लिए यह परिस्थिति बड़ी कष्टदायक होती है।