bihari ji ke ram kaun hai?

मित्र बिहारी जी ने अपने अंतिम दोहे में राम शब्द का प्रयोग किया है, वह लोगों के व्यवहार को बताने हेतु किया है। उनका कहना है कि लोग सिर पर तिलक लगाकर और माला फेरकर राम का नाम जपते हैं। परन्तु राम को सच्चे मन से याद नहीं करते हैं। 

बिहारी जी ने मथुरा के कृष्ण तथा राधा का वर्णन किया है। वह कबीरदास या तुलसीदास की तरह राम के निर्गुण तथा सगुण रूप का वर्णन नहीं करते हैं। 

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