brief summary of akarmak and sakarmak kriya 

कर्मक - + कर्मक = ( बिना, रहित) − कर्म से रहित जिन क्रियाओं का फल सीधा कर्ता पर ही पड़े, वे अकर्मक क्रिया कहलाती हैं। ऐसी अकर्मक क्रियाओं को कर्म की आवश्यकता नहीं होती।

अकर्मक क्रियाओं के उदाहरण हैं () अमन रोता है () रेलगाड़ी चलती है () साँप रेंगता है इन वाक्यों में अमन, रेलगाड़ी व साँप कर्ता है तथा रोता, चलता व रेंगना क्रियाएँ हैं। इनके साथ कर्म नहीं है और न उसकी आवश्यकता है।

सकर्मक क्रिया + कर्मक = कर्म के साथ

जिन क्रियाओं का फल (कर्ता को छोड़कर) कर्म पर पड़ता है, वे सकर्मक क्रियाएं कहलाती हैं। कर्म के बिना इन क्रियाओं का कोई अस्तित्व नहीं है; जैसे -() सुशीला ने सेब खाया।() निमेश मिठाई खाता है।() मिन्टू फल लाती है।() रीता घर देख रही है।

ऊपर दिए हुए वाक्यों में खाया, खाता, लाठी, देखना आदि क्रियाओं को कर्म की आवश्यकती है। इनमें कर्म के बिना क्रिया पूर्ण नहीं है। यदि वाक्य में कर्म की उपस्थिति न भी हो, किंतु क्रिया को उसकी अपेक्षा हो तो वह सकर्मक क्रिया ही होगी;जैसे - शीला चल रही है, नीमा पढ़ती है।

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Akarmak kriya - Vo maar raha tha

Sakarmak kriya - Vo mujhe maar raha tha (answers the question - "kisko" maar raha tha? Ans - mujhe)

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