Bus aas ki ek kiran thi jo samudra ki deh par doobti kirano ki tarah kabhi bhi doob sakti thi? aashya spasht kijiye

प्रिय मित्र, 
तताँरा दिन ढलने से बहुत पहले ही लपाती गाँव की उस समुद्री चट्टान पर पहुँच गया था जहाँ उसने वामीरो को आने के लिए कहा था। वामीरो के इन्तजार में उसे हर एक पल बहुत अधिक लम्बा लग रहा था। उसके अंदर एक शक भी पैदा हो गया था कि अगर वामीरो आई ही नहीं तो। उसके पास प्रतीक्षा करने के अलावा और कोई चारा नहीं था। उसे सिर्फ उम्मीद की एक किरण नजर आ रही थी और वो भी समय बीतने के साथ -साथ समुद्र के शरीर पर जैसे किरणे डूब रही थी उसी प्रकार कभी भी डूब सकती थी।

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