can anybody give me vyakhya of bhagwan k dakiye

प्रस्तुत पंक्तियों में पक्षियों और बादलों को डाकिए कहने से दिनकर जी का आशय है कि वह बिना किसी परेशानी या रोक-टोक के एक देश से दूसरे देश आते-जाते रहते हैं। इसलिए ये भगवान द्वारा दिए गए एकता के सन्देश को पूरे विश्व में फैला रहे हैं। उनके द्वारा लाई गई चिट्ठियों (सन्देश) को मनुष्य नहीं समझ सकते मगर पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ बड़ी आसानी से इन चिट्ठियों को समझ सकते हैं। इसका अभिप्राय है कि मनुष्य ने देश व धर्म के नाम पर स्वयं को टुकड़ों में विभाजित कर लिया है जिसके कारण वह उनके एकता के संदेश को नहीं समझ पाएगा। पक्षी और बादल मनुष्य की भांति पृथ्वी को बाँटे हुए नहीं हैं बल्कि वह सबके साथ समान रूप से एक-सा व्यवहार करते हैं। पक्षी दूसरे देश जाकर रहता है, पेड़ों का आश्रय लेता है। बादल भी हर देश में जाकर बरसते हैं। उनके लिए सब एक ही हैं। अतः यह तो वही समझ सकता है जो उनकी ही भांति समान व्यवहार करते हो।
दिनकर जी कहते हैं, हम इस बात को मान लेते हैं कि एक देश की धरती दूसरे देश के सुगंध को भेजती है और उसे पढ़ पाने में हम नाकाम हो जाते हैं परन्तु प्रकृति प्रेम का सही आँलकन लगा लेती है। फूलों से सुगंध जब चारों तरफ फैलती है तो उसके कण हवा मार्ग में आए हुए पक्षी के पंखों पर चढ़कर दूसरे देश में पहुँच जाते हैं। अर्थात्‌ पक्षियों द्वारा फूलों की सुगन्ध दूसरे देश पहुँच जाती है। उसी तरह जब एक देश के समुद्र, नदियों का पानी भाप बनकर बादलों का रूप धारण कर लेती है तो वह उस देश में न बरसकर दूसरे देश में बरसते हैं अर्थात्‌ यही तो प्रकृति का निस्वार्थ प्रेम है जो जात-पात वे धर्म के बंधनों से मुक्त होकर प्रेम से बँधा हुआ है। वे सबसे समान व्यवहार कर एकता और प्रेम का सन्देश देते हैं।

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