can anyne please explain the summary of the poem in english

यदि आपको यह कविता समझ नहीं आ रही है तो हम आपको इसे आसान भाषा में समझाने का प्रयास करते हैं।
एक दिन सरदी की सुबह कवि देखता है कि छोटे-छोटे बच्चे खाने का डब्बा उठाए जा रहे होते हैं कवि उनके हाथों में कॉपी-किताबों का बैग न देखकर परेशान हो जाता है कि यह बच्चे पढ़ने के स्थान पर काम करने के लिए जा रहे हैं। कवि को बहुत दुख होता है।
उसके अनुसार यह बात तो उस भयानक पंक्ति की तरह है जिसे पढ़कर ही डर लगा जाता है। जिन बच्चों की उम्र पढ़ने की है वह काम करने के लिए इतनी सुबह जा रहे हैं।
वह कहते हैं कि यह इतनी बुरी बात है, हमें इसे विवरण के समान लिखना चाहिए अर्थात जिस तरह हम किसी जरूरी समाचार को लिखते हैं, हमें उसे उसी तरह लिखना चाहिए। या फिर सवाल की तरह अर्थात हमें सबसे यह पूछना चाहिए आखिर ऐसी क्या परेशानी थी की बच्चे काम पर जा रहे हैं।
 
कवि अगले अंश में अपने मन ही मन में प्रश्न करता है कि क्या कारण हो सकता है बच्चों का पढ़ने की जगह काम करने के लिए जाने का। क्या उनकी गेंद अंतरिक्ष में चली गई हैं? या फिर उनकी सारी किताबों को दीपक ने खा लिया है या सारी किताबें पहाड़ ने दबा दी है? या भूकंप में मदरसे अर्थात उनके सभी स्कूल दब गए हैं? या सारे मैदान, बगीचे या घरों के आँगन खत्म हो गए हैं। वह कहता है अगर ऐसा है तो यह बहुत भयानक बात है। अर्थात बच्चों के माता-पिता की ऐसी क्या मजबूरी रही होगी जो उन्होंने अपने छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ने की जगह काम करने भेज दिया है तो यह बहुत गलत हो रहा है।
कवि आगे कहता है कि पर जब मैं देखता हूँ तो सारी चीज़ें वैसी की वैसी हैं अर्थात न तो उनकी गेंद कहीं खोई है न दीमकों ने किताबें खाई हैं, न खिलौने काले पहाड़ के नीचे दबे हैं, न भूकंप में उनके स्कूल दबे हैं, न ही मैदान बाग और घरों के आँगन खत्म हुए है, ये सारी चीज़ें अपने स्थान पर हैं।
वह समाज के आगे प्रश्न रखता है फिर ऐसा क्या हो रहा है जो ये सारे बच्चे पढ़ने, खेलने व मौज-मस्ती के स्थान पर काम पर जा रहे हैं।
 
आशा करती हूँ कि आपको प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
 
ढेरों शुभकामनाएँ!
 

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