Can anyone help me in preparing a speech on the topic-"karm hi maanav ki pahachaan"?
नमस्कार मित्र!
इस आधार पर आप स्पीच तैयार कर सकते हैं-
जब हमारा किसी मनुष्य से पहला परिचय होता है, तो हम उसके पहनावे से उसके बारे में पता लगाने का प्रयास करते हैं। यह परिचय करने व मित्रता बनाने का पहला चरण होता है। धीरे-धीरे उसकी संगति में रहते हुए हमें इस बात का ज्ञान होता है कि पहनावे के आधार पर मित्रता करना सही नहीं होता। इसके पीछे कारण है यदि जिस व्यक्ति का पहनावा अच्छा व सभ्य है ज़रूरी नहीं उसके द्वारा किए गए कार्य भी सभ्य हों।
पहनावा मनुष्य को सभ्य दिखने में मदद तो कर सकता है परन्तु सभ्य बना नहीं सकता। उसके कर्म उसके सभ्य होने का प्रमाण होते हैं। यदि वह बड़ों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करता, सबका आदर नहीं करता, सबसे लड़ता रहता है, बुरे कामों में लिप्त रहता है और जिसमें हर तरह की बुरी आदतें हैं, वह व्यक्ति समाज के द्वारा सभ्य नहीं कहलाएगा। ना ही हम उसे सभ्य कहेंगे। हमारे लिए तो ऐसे व्यक्ति का महत्व उस व्यक्ति से बढ़कर है, जो देखने में तो सभ्य है परन्तु कर्मों या कार्यों से नहीं। एक व्यक्ति साधारण व सस्ते कपड़े पहनाता है। लेकिन लोगों की मदद के लिए वह सदैव तैयार रहता है, सबका समान रुप से आदर करता है, सबसे प्रेम से रहता है और बुरी आदतों व बुरे कार्यों से दूर रहता है, वह सबके लिए आदर करने के योग्य हैं। महात्मा गांधी, विवेकानंद ऐसी महान विभूतियाँ थीं, जिनकी वेशभूषा तो साधारण थी परन्तु कर्म महान व पूज्यनीय थे। इससे यह स्पष्ट हो जाता है, हमारे लिए कर्म अधिक महत्वपूर्ण होते हैं।
ढेरों शुभकामनाएँ!