can i get d summary of poem manushyatha?
'मनुष्यता' कविता में कवि मैथिलीशरण गुप्त मनुष्य को मनुष्यता का भाव अपनाने के लिए कहते हैं। उनके अनुसार आज का मनुष्य अपने स्वार्थों की पूर्ति हेतु लोकहित जैसी भावना को भूलता जा रहा है। जो मनुष्य अपने लिए जीता है, वह पृथ्वी में पशु के समान है। उसके अनुसार जो मनुष्य इस संसार में दूसरों की सेवाभाव में अपना जीवन समर्पित करते हैं, वे इस संसार के द्वारा ही नहीं अपितु भगवान के द्वारा भी पूज्यनीय होते हैं। वह अपने कार्यों से समाज में अन्य लोगों को लोकहित और सेवा का मार्ग दिखाते हुए चलते हैं। ऐसे व्यक्ति समाज में मिसाल कायम करते हैं। युगों-युगों तक उनकी गाथा गायी जाती है।