Can someone tell me the summary of khushbu rachte hai haath?

'खुशबू रचते हैं हाथ' इस कविता में कवि ने अगरबत्ती बनाने वाले लोगों का वर्णन किया है। उसके अनुसार यह लोग हमारे घरों, मंदिरों व कार्यालयों को सुगंधित करने के लिए अगरबत्तियां बनाकर अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं लेकिन विडंबना देखिए की इनका स्वयं का जीवन गंदगी व घोर गरीबी से भरा होता है। वह कहता है इनका स्थान हर खुशबू से युक्त अगरबत्तियां बनाने के लिए जाना जाता है परन्तु कोई यह नहीं देखता जहाँ यह रहते हैं वह गंदगी व उस गंदगी से निकलने वाली बदबू से अटा रहता है। इनके खाने-पीने, रहने व इलाज के लिए कोई सुविधा नहीं होती। हम लोग यह अगरबत्तियां तो ले लेते हैं परंतु इनके जीवन की परेशानियों को नजर अंदाज कर देते हैं। कवि अपनी कविता के माध्यम से जनता को इनके जीवन से अवगत करा, इनके महत्वपूर्ण योगदान को हमारे समक्ष रखने का एक प्रयास करता है।

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