can you give me the meaning of full lesson paragraph wise????? it is very urgent.......please reply it as soon as possible........
मित्र हम पहले ही आपको आरंभ के दो सवैयो की व्याख्या भेज चुके हैं। बाकी दो अब भेज रहे हैं।
3. एक गोपी दूसरी गोपी को कहती है कि मैं कृष्ण के अनुसार सिर पर मोर पंख पहन लूँगी, गले में गुंज की माला भी धारण कर लूँगी। कृष्ण के समान ही पीले वस्त्र धारण कर लाठी पकड़ कर ग्वालों के साथ घूम भी लूँगी। रसखान जी कहते हैं कि वह कहती है कि तेरी कसम खाकर कहती हूँ सखी तेरे कहने पर हर तरह का स्वाँग कर लूँगी। परन्तु हे सखी! मैं कृष्ण की इस मुरली को अपने होठों से नहीं लगाऊँगी क्योंकि यह हर समय कृष्ण के होठों से चिपकी रहती है। भाव यह है कि इसे देखकर मुझे ईर्ष्या होती है। अतः इसे मैं अपने होठों से नहीं लगा सकती हूँ।
4. रसखान जी कहते हैं, एक गोपी कहती है कि जब कृष्ण मुरली बजाते हैं, तो उसकी मधुर तान सुनकर मैं अपनी कानों में अँगलियाँ डाल लेती हूँ। कृष्ण की मुरली की धुन सुनकर मैं तथा सभी गोपियाँ अपनी अटारियों पर चढ़कर सुनने को विवश हो जाती हैं। गोपी कहती है कि ब्रज के निवासियों को कितना ही कहो परन्तु वे कहाँ बात को समझते हैं। कृष्ण के मुख पर छायी मुस्कान इतनी मनमोहक होती है कि मुझसे वह छवि संभाली नहीं जाती है।