Can you please explain what is sakarmak kriya, akarmak kriya, dvikarmak kriya and prernarthak kriya..
मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
1. जिस क्रिया को कर्म की आवश्यकता पड़ती है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। उदाहरण के लिए- राम खाना खा रहा है।
2. जिस क्रिया को कर्म की आवश्यकता नहीं पड़ती है, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं। उदाहरण के लिए- मैं हँस रहा हूँ।
3. जिस क्रिया के दो कर्म होते हैं, उसे द्विकर्मक क्रिया कहते हैं। उदाहरण के लिए- मैंने गीता को खाना दिया।
4. जब कर्ता कार्य स्वयं न करके दूसरे को कार्य करने के लिए प्रेरणा देता है, उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। उदाहरण के लिए- माँ ने खाना बनवाया।
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
1. जिस क्रिया को कर्म की आवश्यकता पड़ती है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। उदाहरण के लिए- राम खाना खा रहा है।
2. जिस क्रिया को कर्म की आवश्यकता नहीं पड़ती है, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं। उदाहरण के लिए- मैं हँस रहा हूँ।
3. जिस क्रिया के दो कर्म होते हैं, उसे द्विकर्मक क्रिया कहते हैं। उदाहरण के लिए- मैंने गीता को खाना दिया।
4. जब कर्ता कार्य स्वयं न करके दूसरे को कार्य करने के लिए प्रेरणा देता है, उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। उदाहरण के लिए- माँ ने खाना बनवाया।