Chaayiya kyu gabrai hui hai?
मित्र!
आपके प्रश्न के लिए हम अपने विचार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।
जेठ की भीषण गर्मियों में अपनी छाया भी छोटी और छोटी होने लगती है। गर्मी की दोपहर में जब कहीं भी छाया नहीं मिलती और सब गर्मी से बेहाल होते हैं, तब छाया भी घबराने लगती है और छाया भी छाया को खोजती फिरती है। लगता है जैसे छाया भी गर्मी से डरकर कहीं चलती गई है।
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जेठ की भीषण गर्मियों में अपनी छाया भी छोटी और छोटी होने लगती है। गर्मी की दोपहर में जब कहीं भी छाया नहीं मिलती और सब गर्मी से बेहाल होते हैं, तब छाया भी घबराने लगती है और छाया भी छाया को खोजती फिरती है। लगता है जैसे छाया भी गर्मी से डरकर कहीं चलती गई है।