Chapla devi ki rachnaye

द्विवेदी युग की लेखिका चपला देवी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाए स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पुरुष लेखकों के साथ-साथ अनेक महिलाओं ने भी अपने-अपने लेखन से आजादी के आंदोलन को गति दी उनमें से एक लेख का चपला देवी भी रही है कई बार अनेक रचनाकार इतिहास में दर्ज होने से रह जाते हैं चपला देवी भी उन्ही में से एक हैं
यह एक एतिहासिक सच्चाई है कि सन 18 सो 57 की क्रांति के विद्रोही नेता धुंधूपंत नाना साहब की पुत्री बालिका मैना आजादी की थी जिसे अंग्रेजों ने जलाकर मार डाला बालिका के बलिदान की रचना में प्रस्तुत किया है याद रचना शैली में लिखी गई है उसे हम आज का प्रारंभिक खा सकते हैं
लिए जिन्होंने अपने प्राण न्योछावर कर दिए उनके जीवन का उत्कृष्ट हमारे लिए गौरव और सम्मान की बात है उस गौरवशाली किंतु विस्मृत परंपरा से किशोर पीढ़ी को परिचित कराने के उद्देश्य से इस रचना को हिंदू पंच के बलिदान अंक से लिया गया है हिंदी गद्य के प्रारंभिक उर्दू को विद्यार्थी जान पाए इसलिए इस घटना को मुद्रण और वर्तनी में बिना किसी परिवर्तन के विकल्प प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है)
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