Charu chadra .........ghokho se
प्रिय छात्र , हम आपको कविता के पहरे को सरल अर्थ बना कर दे रहे हैं |
सुंदर चन्द्रमा की चंचल किरणें जल और भूमि पर बिखर रही हैं |
चाँद की स्पष्ट रोशनी धरती और आकाश में फैली हुई है |
धरती हरे घास के नुकीले तिनकों से रोमांच का अनुभव कर रही है |
मानो ऐसा लगता है जैसे वृक्ष भी, धीमी गति से चल रही हवा में झूम रहे हैं|
सुंदर चन्द्रमा की चंचल किरणें जल और भूमि पर बिखर रही हैं |
चाँद की स्पष्ट रोशनी धरती और आकाश में फैली हुई है |
धरती हरे घास के नुकीले तिनकों से रोमांच का अनुभव कर रही है |
मानो ऐसा लगता है जैसे वृक्ष भी, धीमी गति से चल रही हवा में झूम रहे हैं|