Chaya mat chuna kavita ka kavi jeevan mein kya chahta h?uski chaah puri na hone par vah apne man ko kya keh RHA tha air kyu?

मित्र

छाया मत छूना' कविता के माध्यम से कवि गिरिजाकुमार माथुर यह समझाना चाहते हैं कि जीवन का निर्माण सुख-दुख के ताने-बाने से मिलकर होता है। एक के बिना दूसरे का अस्तित्व संभव नहीं है। उनके अनुसार बीते सुख को भुलाकर वर्तमान में व्याप्त दुख को और गहरा करना मुर्खता कहलाता है। कवि के अनुसार इससे दुख बढ़ेगा, कम नहीं होगा। हमें चाहिए कि विषम परिस्थितियों में धैर्य धारण कर उसका सामना करें। भूतकाल में बीता समय कितना सुखमय क्यों न रहा हो, उसे भुलाकर सच्चाई का सामना पूरी हिम्मत और धैर्य के साथ करना चाहिए।

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