नदी के किनारेअंकितपदचिह्नऔरसिंहकेchinhoसेमनोmahishkulकेभारतीययुद्धकापुराइतिहास hi isskardamलेखमेंlikhaहोऐसाbhasहोता है

महिषासुर एक राक्षस था। यह भैंस और राक्षस से उत्पन्न था। अतः यह भैंस के समान दिखता था। महिषासुर ने ब्रह्मा से वरदान मांगा था कि वह किसी भी देवता और राक्षस से मारा न जाए। अपने वरदान के कारण वह शक्तिशाली बन गया और उसने धरती और स्वर्ग में त्राहि-त्राहि मचा दी। उसके अंत के लिए देवी दुर्गा का सृजन हुआ। देवी ने उसके साथ नौ दिनों तक भयंकर युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध कर दिया। 

लेखक ने  प्रस्तुत पंक्ति में इसी युद्ध का उल्लेख किया है। उसके अनुसार कीचड़ में अंकित भैंसों (महिष) के सीगों और पैरों के चिह्नों को देखकर ऐसा प्रतित होता है, मानो कीचड़ में इतिहास में हुए युद्ध का संपूर्ण लेखा-जोखा अंकित हो गया हो।

भैंस को संस्कृत भाषा में महिष भी कहा जाता है। 

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ashay spasht kijia

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