could u please send the three famous rabindranath tagore poems in hindi.please send it to me mam.

नमस्कार मित्र,

आपकी सहायता के लिए हमें दो ही कविताएँ मिल पाई हैं। तीसरी आप स्वयं ही इंटरनेट की सहायता से खोजें।

१. शीर्षक-मेरा मस्तक अपनी चरण्ढूल तले नत कर दो

मेरा मस्तक अपनी चरण्ढूल तले नत कर दो
मेरा सारा अहंकार मेरे अश्रुजल में डुबो दो।

अपने मिथ्या गौरव की रक्षा करता
मैं अपना ही अपमान करता रहा,
अपने ही घेरे का चक्कर काट-काट
मैं प्रतिपल बेदम बेकल होता रहा,
मेरा सारा अहंकार मेरे अश्रुजल में डुबो दो।

अपने कामों में मैं अपने प्रचार से रहूँ दूर
मेरे जीवन द्वारा तुम अपनी इच्छा पूरी करो, हे पूर्ण!

मैं याचक हूँ तुम्हारी चरम शांति का
अपने प्राणों में तुम्हारी परम कांति का,
अपने हृदय-कमल दल में ओट मुझे दे दो,
मेरा सारा अहंकार मेरे अश्रुजल में डुबो दो।

२. शीर्षक- अंतर मम विकसित करो

अंतर मम विकसित करो

हे अंतरयामी!

निर्मल करो, उज्ज्वल करो,

सुंदर करो हे!

जाग्रत करो, उद्यत करो,

निर्भय करो हे!


मंगल करो, निरलस नि:संशय करो हे!
अंतर मम विकसित करो,

हे अंतरयामी।


सबके संग युक्त करो,
बंधन से मुक्त करो
सकल कर्म में संचरित कर
निज छंद में शमित करो।

मेरा अंतर चरणकमल में निस्पंदित करो हे!
नंदित करो, नंदित करो,

नंदित करो हे!


अंतर मम विकसित करो

हे अंतरयामी!

हे अंतरयामी!

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