DEAR SIR / MADAM
KINDLY ANSWER URGENTY ABOUT TISRI KASAM MOVIES SAMIKSAN
MY CHILD PROJECT IS THERE SO PLEASE REPLY URGENTLY
THANK FOR CO-OPERATION
MY TETEPHONE NO : 91-9979986001
नमस्कार मित्र!
आपको यदि तीसरी कसम फ़िल्म पर प्रोजेक्ट बनाना है, तो आपको इस फ़िल्म से संबंधित सभी जानकारियाँ एकत्र करनी पड़ेगी। आप यदि कुछ चित्र एकत्र करो तो और भी अच्छा है। आपको इस फ़िल्म के विषय में हम लिख दे रहे हैं। आशा करते हैं यह आपके काम आएगा।
शैलेंद्र जी एक बेहतरीन गीतकार थे। उनके गीत आज भी उसी उत्साह के साथ सुने जाते हैं, जो पहले सुने जाते थे। उनकी फ़िल्म भी उनके गीतों की तरह ही बेहतरीन फ़िल्म थी। इस फ़िल्म में राजकपूर और वहीदा रहमान जैसे चर्चित कलाकारों ने अभिनय किया था। इस फिल्म को प्रसिद्ध लेखक फणीश्वर नाथ रेणु ने लिखा था। इस फ़िल्म को बनाने के लिए शैलेंद्र जी ने अपना सर्वस्व लुटा दिया। यह एक फ़िल्म नहीं थी बल्कि एक साहित्यिक कृति थी। उन्होंने पूरी ईमानदारी और लगन से इस फ़िल्म को बनाया था। यह फ़िल्म अन्य फ़िल्मों की तरह नहीं थी। यह गाँव की संस्कृति के बेहद करीब थी। शैलेंद्र ने इस फ़िल्म में ग्रामीण जीवन के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की थी। यह फ़िल्म भारत के गाँवों की सादगी और सुंदरता का सुंदर चित्र प्रदर्शित करती है। भारतीय सिनेमा में हज़ारों फ़िल्में बनी होगीं परन्तु उन फ़िल्मों की तुलना इससे नहीं की जा सकती है, यह स्वयं में बेजोड़ है। यह फ़िल्म एक उपन्यास 'मारे गए गुलफाम' का रूपांतरण था इसलिए यह एक साहित्यिक कृति का दर्जा हासिल कर लेती है। इस फ़िल्म की पाठ्यकथा मन को छु लेने वाली थी। इस फ़िल्म की सादगी इसी बात से पता चलती है कि लेखक ने फ़िल्मी दुनिया की चमक-दमक से इसे अछुता रखा है। उनकी लगन का ही फल था कि इस फिल्म की देश में ही नहीं विदेशों में भी प्रशंसा की गई। इसे अनगित पुरस्कार भी मिले। इस फ़िल्म का एक 'गाना पान खाए सईंया हमारो, मोहनी सुरतवा होंट लाला-लाल' उस समय की लोकप्रिय गीत था। इसका संगीत बेजोड़ था। इस फ़िल्म के गाने कर्ण प्रिय थे। लेकिन भारतीय सिनेमा की यह विंडबना देखिए कि यह फ़िल्म दर्शकों द्वारा उस समय नकार दी गई थी। यह फ़िल्म मनोरंजन के अतिरिक्त एक संदेश भी देती है। यह फ़िल्म सिनेमा खिड़की में दर्शकों की भीड़ जुटाने में कामयाब नहीं हो पाई हो। परन्तु इसने जितनी वाहवाही बटोरी है, वह कुछ गिनी-चुनी फ़िल्मों ने ही हासिल कर पाई है। यह फ़िल्म शैलेंद्र जी की एक उत्कृष्ट कृति थी। उन्होंने भारतीय सिनेमा को यह अनुपम कृति दी। उसका हम सदैव धन्यवाद करेंगे ।
इस फ़िल्म के विषय में और कुछ जानना चाहते हैं, तो हम आपको एक लिंक भी भेज रहे हैं। इसकी सहायता से आप इस फ़िल्म के विषय में और विस्तार से जान सकेंगे और यह आपके प्रोजेक्ट और भी बेहतर बना पाएगा। इसे कॉपी करके लिंक बॉक्स में डाले।
http://in.jagran.yahoo.com/news/features/general/8_14_4773250.html
ढेरों शुभकामनाएँ!