debate on joint V/s nuclear family in hindi

मित्र हम आपको इस विषय पर कुछ सामग्री उपलब्ध करवा रहे हैं। आपसे निवेदन है कि इसे आधार बनाकर वाद-विवाद की तैयारियाँ करें-

संयुक्त परिवार भारतीय संस्कृति में बहुत स्थान रखता है। सुंयक्त परिवार में एक नहीं बल्कि अनेक परिवार प्रेम से साथ-साथ रहते हैं। इसमें चाचा-चाची, ताऊ-ताई सभी मिल- जुलकर एक छत के नीचे वास करते हैं। यहाँ कोई अपना खास नहीं होता सभी अपने होते हैं। एक की बीमारी पर सारे घर वाले चिंतित होते हैं और सभी उनकी देखभाल करने को तत्पर। परन्तु आज के आधुनिक युग में संयुक्त परिवार दम तोड़ रहे हैं। लोग बस अपने परिवार को अपना समझते हैं और भाई-बहनों के परिवार की लिए अपनी ज़िम्मेदारी नहीं समझते। इस तरह संयुक्त परिवार आज बहुत कम दिखाई देते हैं। इनकी झलकियाँ बस फिल्मों के अंदर दिखाई देती है। असल जिंदगी में संयुक्त परिवार दम तोड़ रहे हैं। हम भूल जाते हैं कि संयुक्त परिवार में हमारे बच्चे एक अच्छी देखभाल पाते हैं। बड़ों का साया उन्हें जीवन की अच्छी समझ देता है। उसे संभालने के लिए कई हाथ एक साथ खड़े होते हैं। परन्तु नहीं हम इसकी विशेषताओं को अपने स्वार्थों के आगे नकार देते हैं। छोटे परिवार में इस प्रकार की सुविधाएँ नहीं मिलती हैं। परन्तु इसमें प्रगति के असर अधिक होते हैं। यही कारण है कि लोग आज छोटे परिवार को महत्व दे रहे हैं। छोटे परिवार में जवाबदेही और जिम्मेदारियाँ कम हो जाती है। खर्चे कम होते हैं अतः मनुष्य अपने लिए धन जमा कर पाता है। उस पर आर्थिक दबाव नहीं पड़ता है। इस तरह वह कम समय में बहुत अधिक धन जमा कर लेता है। परन्तु छोटे परिवार में लोगों को सुरक्षा की भावना कम होती है। बच्चे परिवार की कमी के कारण अधिक बिगड़ते हैं। 

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