deh sukhee hone par man ke dukhon ka ant kyon nahin hota? chhaaya mat doona kavita ke aadhaar par likhie.

प्रिय विद्यार्थी ,

‘छाया मत छूना’ कविता में कवि ने अतीत की यादों से खुद को बचाने की बात कही है , क्योंकि अतीत की जो दुखद यादें हैं वे मन को केवल कष्ट देती हैं । और अगर हम वर्तमान में सुखी हैं और हमारा तन सुखी है , तो उन बीती यादों से केवल हमारा मन दुखी होगा ।
कवि ने इसीलिए बीती यादों को छाया के समान बताया है , और वे कहते हैं कि उस छाया को कभी नहीं छूना चाहिए , क्योंकि उन्हें छूने से हमारा दुख दुगना हो जाएगा । अगर हमारा तन और मन दोनों सुखी है , तभी हम पूर्ण रूप से सुखी हो सकते हैं ।  
आभार ।

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