DETAILED TRANSLATION OF CHAPTER

नमस्कार मित्र!
'चाँद से थोड़ी-सी गप्पें' कविता में चाँद के विषय में बताया गया है। इस कविता में बालमन की कल्पना का बहुत सुंदर परिचय देखने को मिलता है। कवि ने अपनी कल्पनाशीलता को सरल भाषा में प्रस्तुत किया है। इस कविता में एक लड़की चाँद से बातें कर रही है। वह चाँद से कहती है कि आप कभी गोल और तिरछे प्रतीत होते हो। यह सारा आकाश आपकी पोशाक के समान लगता है। इस पोशाक से आपका गोरा चेहरा दिखाई देता है। उसे लगता है कि चाँद उसे उल्लू बना रहा है क्योंकि चाँद घटता-बढ़ता रहता है। उसके अनुसार चाँद को कोई बीमारी है, जिसके कारण उसका आकार इस तरह से घटता-बढ़ता रहता है। रात के प्रकृति सौन्दर्य का सजीव वर्णन किया गया है। आकाश, चाँद, तारे आदि का वर्णन देखते ही बनता है। यह कविता बच्चों को ध्यान में रखकर ही बनाई गई है।  
 
ढेरों शुभकामनाएँ!

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