Dhanya dhanya ve hai nar maile jo karat gaat kaniya lagay dhoori eisi larikan ki - aashay spasht kijie is in dhool page 1

मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-

इस पंक्ति का अर्थ इस प्रकार है कि वे लोग धन्य हैं, जो मिट्टी तथा धूल में लिपटे बच्चों को अपनी गोद में उठाते हैं और उन पर लगी हुई मिट्टी तथा धूल को छूते हैं। मिट्टी तथा धूल में हुए बच्चों को पकड़ने से उनका शरीर भी मिट्टी तथा धूल से भर जाता है। लेखक के अनुसार 'मैले' शब्द में हीनता का अहसास होता है यही कारण है वह मिट्टी तथा धूल को मैल नहीं समझते। 'ऐसे लरिकान' में भेद की बुद्धी नज़र आती है। अत : इस पंक्ति के माध्यम से लेखक मिट्टी तथा धूल को पवित्र और प्राकृतिक श्रृंगार का साधन मानते हैं।



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aashay spashta hua
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