dhool path ki rachna ka mukh uddesh kya hai

प्राचीन भारत में धूल को गंदा नहीं समझा जाता था। उसे श्रद्धेय समझा जाता था।  गोधूलि को तो लोग जीवन में विशेष महत्व देते थे। गोधूलि को गंदा समझकर उससे बचने का प्रयास नहीं किया जाता था। उसका शरीर पर गिरना अच्छा समझा जाता था। परन्तु आज के भारत में धूल को गंदा समझा जाता है। लोग उससे बचने का प्रयास करते हैं। उन्हें लगता है, इसमें कीटाणु विद्यमान रहते हैं और वह उनकी त्वचा और स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल सकती है। लेखक का उद्देश्य है कि वह लोगों को धूल के महत्व से अवगत करा सके। वह लोगों में  धूल के प्रति प्रेम और श्रद्धा को दोबारा स्थापित करना चाहता है।  

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