dialogue writing of chapter ram laxaman parshuram samvad in hindi

मित्र हम आपको संवाद आरंभ करके दे रहे हैं। कृपया इसे स्वयं लिखने का प्रयास कीजिए। इससे आपका लेखन कौशल बढ़ेगा। 

परशुराम- (क्रोध में) किसने किया इतना बड़ा अनर्थ? मेरे आराध्य देव का धनुष किस दुष्ट द्वारा तोड़ा गया है। 

राम- (विनम्र वचनों के साथ) प्रभु यह धनुष आपके ही किसी सेवक द्वारा तोड़ा गया होगा। अन्यथा किसमें इतना बल है, जो इस धनुष को तोड़ सके।

परशुराम- (क्रोध में काँपते हुए) चुपकर! हे मूर्ख बालक। मुझसे मुँह चलाता है। ऐसा व्यक्ति मेरा सेवक नहीं अपितु मेरे शत्रु के समान है।
लक्ष्मण- मुनि! आप इस धनुष के टूटने पर इतने क्रोधित क्यों हो रहे हैं। ऐसे अऩेक धनुष हमने बचपन में तोड़े हैं। तब तो किसी ने क्रोध नहीं किया।
परशुराम- मूर्ख! यह कोई साधारण धनुष नहीं है। अपितु शिवजी का धनुष है जिसकी शक्ति तीनों लोकों को ज्ञात है।

 

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