Divano ki hasti ..

उत्तर :- 

1. कविता में कवि ने स्वयं को दीवाने कहकर संबोधित किया है ।

3. भिखमंगे शब्द का प्रयोग इस संसार के लिए किया गया है ।

2. कविता का प्रतिपाद्य –
दीवानों की हस्ती के लेखक हैं- श्री भगवती चरण वर्मा। श्री वर्मा ने दीवानों की हस्ती के बारे में विस्तृत रुप से वर्णन किया है। उनके अनुसार दीवाने वह लोग होते हैं, जो सुख में या दुख में अथवा सभी माहौल में, अपने आपको मस्त रखते हैं। वह बीता हुआ कल याद नहीं करते अथवा आने वाले कल की परवाह नहीं करते। वह आज को जीते हैं। दीवाने अपना रुतबा, रुपए-पैसे, मान-मर्यादा, प्रतिष्ठा इत्यादि पर कभी भी घमंड नहीं करते क्योंकि उनकी कोई हस्ती ही नहीं होती। ना ही उनको किसी से कोई अपेक्षा होती है। वह हर हाल में खुश रहना जानते हैं। कहीं भी जाएँ, किसी भी माहौल में रहें। जहां भी वे जाते हैं, गर्मजोशी से उस माहौल को भर देते हैं। असल में दीवाने किसी बंधन में नहीं बंधे होते। उनके लिए अपने पराए का कोई भेद नहीं होता। यही इस कविता का प्रतिपाद्य है। वास्तव में आज के काल में यदि मनुष्य को समाज में रहना है, तो सबके साथ मिलकर ही चलना होता है। 

इस आधार पर आप उत्तर को पूरा कर सकते हैं ।

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