dukh ka adhikar paath ka mool bhav.

मित्र इस पाठ में एक गरीब बुढ़िया की दयनीय स्थिति का वर्णन है। वह भी अपने पुत्र की मृत्यु का शोक मनाना चाहती है परंतु उसकी परिस्थिति उसे यह करने नहीं देती। उसे बाज़ार जाकर सौदा बेचना पड़ता है। उसे बाज़ार में सामान बेचते हुए लोग तरह- तरह की बातें करते हैं। उस पर लांछन लगाते हैं परंतु कोई उसकी सहायता नहीं करता। यही इस पाठ का मूल भाव है। वह बुढ़िया अपने पुत्र की मृत्यु का शोक चाहकर भी  नहीं मना सकती।

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