dusro ki madad karna hi sabse bada dharm hai essay

मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
 
मनुष्य जन्म का बहुत महत्व है। मनुष्य को प्रकृति ने सक्षम तथा योग्य बनाया है। वह इस पृथ्वी में विद्यमान प्रत्येक जीव-जन्तु तथा अपने भाइयों की सहायता करने के लिए तत्पर है।  समय बदल रहा है और मनुष्य स्वार्थी प्रवृति का हो रहा है। वह दूसरों की सहायता करने से हिचकिचाता है। मगर यह अवस्था उचित नहीं है। दूसरों की सहायता करना ही मनुष्य का धर्म है। जिस पूजा पद्धति को वह धर्म मानकर चलता है, उसे धर्म नहीं कहते हैं। वह तो ईश्वर को पाने के लिए सुझाए गए मार्ग हैं। 
 
सही मायने में धर्म वह कहलाता है, जब हम किसी बेबस व्यक्ति की सहायता करते हैं। उसकी सहायता के लिए हम अपना स्वार्थ भी एक किनारे पर रख देते हैं। ऐसे व्यक्ति मानवता के लिए मिसाल होते हैं। वही धर्म की नींव रखते हैं। किसी बेबस मनुष्य को छोड़कर आगे बढ़ जाना अधर्म कहलाता है। अतः मनुष्य को चाहिए कि दूसरों की सहायता करे। परोपकार को अपने जीवन का उद्देश्य बना ले। यही उसका सच्चा धर्म है। ऐसा मनुष्य ही मानवता का कल्याण करता है।

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kjabdwk 34234
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