ek aur ek maina chapter se hame kya shiksha milti hai ?

'एक कुत्ता और एक मैना' पाठ लेखक हज़ारीप्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखा गया है। यह पाठ रवींद्रनाथ टैगोर जी के जीवन की झलक देता है। रवींद्रनाथ जी के स्वभाव में विद्यमान गुणों का भी परिचय हमें इसी पाठ से मिलता है। लेखक ने उनकी स्वभाव की विराटता का जो परिचय दिया है, वह बहुत ही सुंदर है। रवींद्रनाथ जी भारत के प्रसिद्ध कवि या लेखक नहीं थे बल्कि एक संवेदनशील और सहज व्यक्ति भी थे। वह मनुष्यों से ही नहीं अपितु सभी प्राणियों से भी प्यार करते थे। वह पशु-पक्षियों के जीवन का सूक्ष्म निरीक्षण करने में कितने पारखी थे, इस पाठ से ज्ञात हो जाता है। यह पाठ निंबध शैली में लिखा गया है। इसमें कवि ने पशु-पक्षियों के प्रति मानवीय प्रेम व स्नेह, उसके साथ ही पशु-पक्षियों से मिलने वाली भक्ति, प्रेम और करुणा का बड़ा मनोहारी वर्णन किया है। हम अपने आस-पास के पशु-पक्षियों को अपने अस्तित्व के सम्मुख नकार देते हैं। हमारे लिए वे ज़रूरी नहीं हैं। लेखक हमें इसी दिशा में सोचने के लिए मजबूर करता है। यह निबंध हमें शिक्षा देता है कि हमें जीव-जन्तुओं से प्रेम व स्नेह करना चाहिए। इसके बदले उनसे हमें निस्वार्थ प्रेम व स्नेह ही प्राप्त होता है।  

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